एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता , कुशल संगठन शिल्पी , भारतीय तत्व
ज्ञान के गहन एवं गंभीर अध्येता , मोहनजीत स्वार्थों से निरपेक्ष , सादा जीवन उच्च
विचार के साक्षात् आदर्श, भारतीय संस्कृति एवं जीवन दर्शन के आधुनिक व्याख्याकार, ओजस्वी
वक्ता, राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक, भारतीय जनसंघ के संस्थापक , राष्ट्रीय
महामंत्री एवं बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष, ऐसे महामनीषी भारत के आधुनिक ब्रम्हर्षि
पंडित दीनदयाल उपाध्याय को यह ग्रन्थ सादर समर्पित करते हुए में आत्मसुख की अनुभूति
कर रहा हूँ।
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